मुलाक़ात

क्या याद है तुम्हे की यहाँ  हम अक्सर मिलने आते थे
सारे गम भुला कर यहाँ  हम अक्सर मिलने आते थे
बीते दौर की बाते भूल से भी नही भुलाई जाती की
कैसे जान हथेली पे रख कर हम अक्सर मिलने आते थे


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